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जीवन का गणित

जीवन का गणित

प्यार और तकरार का, 
आदि ना कोई अंत।  
घर बाहर सब देख लो, 
और नहीं कोई पंथ।। 

बिना प्यार जीवन सूना है, 
यह है जीवन का आधार। 
लेकिन जब दो लोग मिलें तो, 
नहीं मिलेंगे उनके विचार।। 

हो जाएगी तू तू मैं मैं। 
दोनों के अलग अलग विचार। 
और चलेंगे पूर्व पश्चिम,
बढ़ेगी फिर निश्चय तकरार।।

छोटी मोटी हुई लड़ाई, 
नोकझोंक से बढ़ता प्यार।  
पर न बढ़ाना इसको भाई, 
मन हो जाएगा घायल, 
फिर तो टूटेगी धैर्य की दीवार।  

तो तकरार हो नमक जैसी,
जो भोजन में होता कम। 
प्यार रहे जीवन में हरदम,
चाहे खानी पड़ जाए गम।।
रचनाकर - शोभा शर्मा। छतरपुर मध्य प्रदेश।  

 

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2 Comments

खूबसूरत भाव और संदेश देती हुई रचना

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Reena yadav

24-Jul-2023 09:57 PM

👍👍

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